चिन्तन- दोहा छन्द
आज दिनांक ५.७.२४ को प्रदत्त विषय ' चिन्तन' पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति
चिन्तन- दोहा छन्द
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काहे का चिन्तन करें,क्यों खपायें शरीर।
ध्यान करो निज काम का,रखना थोड़ा धीर।।
चिन्तन हो अध्यात्म से, घर मे मत हो काम।
घर का सपना भूल कर,करलो अपना नाम।।
चिन्तन होना चाहिए, हो उलझन गम्भीर।
हो एकाग्र मनन करो,उलझन से क्या पीर।।
राम नाम दिल मे रखो,उलझन से क्या पीर।
सब सुलभ हो जायेगा, कृपा करें रघुवीर।।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़